भँवरा फूलों पर मडराता है मधुऋतु का संदेश सुनाता है लतिका कोई इठलाती है तब याद तुम्हारी भँवरा फूलों पर मडराता है मधुऋतु का संदेश सुनाता है लतिका कोई इठलाती है ...
रात दिन दिल को सताये अब यही मंजिलें आज़म मिली बेहतर नहीं। रात दिन दिल को सताये अब यही मंजिलें आज़म मिली बेहतर नहीं।
क्यों अपनी निगाह रोक दिया करता हूँ कभी तुम पर तो कभी अपने आप पर। क्यों अपनी निगाह रोक दिया करता हूँ कभी तुम पर तो कभी अपने आप पर।
तुम्हारी बेरुख़ी तुम्हारी बेरुख़ी
गुलदान में सजे फूलों से घर का हर कोना महक जाता था। गुलदान में सजे फूलों से घर का हर कोना महक जाता था।
तू दे दे मुझको मेरा प्यार है सिर्फ माँगा। तू दे दे मुझको मेरा प्यार है सिर्फ माँगा।